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आज है डॉक्टर बलदेव की जन्म जयंती: अपना विपुल साहित्य छोड़ जाने वाले डॉक्टर बलदेव की सामाजिक सरोकारिता के कारण भी लोग उन्हें याद करते हैं

आज 27 मई को डॉ बलदेव की जन्म जयंती है। भले ही उन्हें गए लगभग 6 वर्ष बीत चुके हैं पर उनका लिखा साहित्य उनकी मौजूदगी का जीवंत आभास कराता है। 



संचार के विभिन्न माध्यमों के जरिये उन्हें याद किये जाने का क्रम अनवरत जारी है। उनके पाठकों , उनके चाहने वालों  की ओर से उन्हें इस तरह याद किया जाना ही उनकी जीवंत उपस्थिति को दर्शाता है। किसी लेखक की असल पूंजी उसका लिखा हुआ साहित्य ही होता है , यह साहित्य ही उसे अमर करता है। साहित्य को भूत और वर्तमान के बीच सेतु की तरह भी हम देखते हैं और इस तरह देखने से ही डॉक्टर बलदेव की मौजूदगी कभी हमारे बीच से जाती नहीं। 


साहित्य का विपुल संसार छोड़ गए डॉ बलदेव न केवल एक वरिष्ठ और प्रभावशाली लेखक थे बल्कि लेखक होने के साथ-साथ उनका एक सामाजिक सरोकार भी था। लोगों के साथ उनके जीवंत संबंध भी हुआ करते थे। दीन दुखियों के प्रति उनमें दया, करुणा, प्रेम की भावना भी प्रबल हुआ करती थी । वे अपने इन गुणों को विरासत में छोड़कर भी गए हैं । उनकी स्मृति को और भी जीवंत बनाने के लिए उनके सुपुत्र बसन्त राघव और पुत्रवधु ऋतु ने पहाड़ मंदिर के निकट स्थित बृद्ध आश्रम में जाकर लगभग 60 की संख्या में रह रहे बृद्ध असहायजनों से मुलाकात की और उन्हें यथा सामर्थ्य फल एवं खाद्य सामग्री का वितरण भी किया। 

मेरे लिए यह संतोष का बिषय है कि मैं भी इन गतिविधियों में उनके साथ बना रहा। किसी लेखक को इस तरह भी याद किया जाए तो यह एक अच्छी परंपरा को पुनर्जीवित करने जैसा संकल्प है। भविष्य में ऐसी संकल्पना को सामूहिक रूप दिया जाना और अच्छी बात होगी। वे मेरे पूर्व प्राचार्य रहे, लिखने पढ़ने के क्रम में उनसे हम लोगों ने बहुत कुछ सीखा । बहरहाल आज के दिन डॉक्टर बलदेव को मेरी विनम्र श्रद्धाजंलि !🙏💐

रमेश शर्मा

टिप्पणियाँ

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